पहलगाम में बैसरन आतंकी हमले (Pahalgam Attack one Month) के बाद पर्यटन उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुआ है। होटल खाली हैं रेस्तरां बंद हैं और सड़कों पर सन्नाटा पसरा है। हमले से पहले पर्यटकों की भीड़ थी लेकिन अब पहलगाम गुलमर्ग और सोनमर्ग जैसे पर्यटन स्थल वीरान हो गए हैं। पर्यटन उद्योग से जुड़े लोग आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं।
श्रीनगर। Pahalgam Attack one Month: पहाड़ों की ओट से निकले सूरज की किरणें चारों तरफ खड़े देवदार के पेड़ों से होकर जब पहलगाम में उगी मखमली घास पर पडती है तो ऐसा लगता है जैसे कालीन पर किसी ने चांदी के तार पिरो दिए हों।
वादी के बीचोंबीच बहने वाले लिदर दरिया की जलतरंग के साथ ही कोयल व बुलबुल की कानों में रस घोलने वाली मधुर आवाजों ने समा बांधा हुआ है। मेहमानों को मदमस्त करने वाली पहलगाम की इस सुबह का दीदार करने वाला कोई नहीं है।
बैसरन आतंकी हमले के 30 दिन बाद भी यहां ही हरियाली वादियां गुमसुम दिखाई पड़ती हैं और यह बहारें अब सूनी सी हो गई हैं। जागरण टीम ने हालात की पड्ताल की तो पाया कि होटल खाली हैं और रेस्तरां के चूल्हे ठंडे पड़े हैं।
दूर- दूर तक सड़कों पर पसरा सन्नाटा पसरा है। जब यहां से कोई गाड़ी गुजरती है तो शोर जरूर सुनाई देती है, लेकिन कुछ पल में ही फिर सन्नाटा पसर जाता है। पहलगाम में पिछले एक महीने से ऐसी ही स्थिति बनी हुई है।
गत 22 अप्रैल दोपहर तक घाटी का नजारा ही कुछ और था। हर तरफ पर्यटक ही नहर आ रहे थे। होटल ,गेस्टहाउस फुल, रेस्टोरेंट व ढाबों पर चाय पानी पीने के लिए बारी का इंतजार करना पड़ता था। घुड़सवारी करने के लिए घोड़ा मश्किल से मिलता था।
बेताब वैली, आडू, चंदनवाड़ी जाने के लिए वाहन ढूंढ़ना मशक्कत का काम होता था। दुकानदारों को खाना खाने तक की फुर्सत नहीं थी। लेकिन 22 अप्रैल दोपहर को आतंकियों ने बैसरन हमले को अंजाम देकर न पहलगाम बल्कि पूरी घाटी को सूना बना दिया।
बैसरन घाटी भी वीरान
पहलगाम, गुलमर्ग और सोनमर्ग में छाया सन्नाटा
आतंकी हमले के बाद से घाटी का पर्यटन उद्योग चरमरा गया है। पहलगाम, गुलमर्ग व सोनमर्ग समेत घाटी के अधिकांश पर्यटन स्थलों पर वीरानी छाई हुई है। इस स्थिति में पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों की आर्थिक स्थिति दयनीय हो गई हैं।
वहीं, पर्यटन विभाग ने भी स्वीकारा है कि इस घटना से पर्यटन उद्योग पटरी से उतर गया है। विभाग के अनुसार पर्यटन उद्याग को पटरी पर आने में समय लगेगा। उन्होंने कहा कि पर्यटकों को फिर से घाटी की तरफ आकर्षित करने के लिए प्रयास किए जाएंगे।
यकीन नहीं होता यह वहीं पहलगाम है: रऊफ अहमद
पहलगाम मुख्य मार्केट में स्थित टैक्सी के नजदीक बेंच पर बैठे लोगों से बातचीत करने पर पता चला कि उनमें से दो वहीं पर टूरिस्ट टैक्सी चालते थे जबकि एक की पहलगाम मुख्य बाजार में कपड़ों की दुकान है। टैक्सी चालक रऊफ अहमद से जब पूछा गया कि वह यहां क्या कर रहे हैं तो वो मायूस हो गए और कहा कि अपनी तबाही का मातम मनाने के लिए हम लोग रोज यहां आते हैं।
रऊफ के साथ ही बैठे जुबैर यतू ने कहा कि यकीन नहीं होता कि यह हमारा वहीं पहलगाम है जो इन दिनों मेहमानों से खचाखच भरा रहता था।
बाजार की तरफ इशारा करते हुए जुबैर ने कहा कि आप खुद देखिए बाजार का हाल। सब कुछ ठप है। मेरी मुख्य मार्केट में दुकान है और पास के गांव लारीपोरा में रहता हूं। उस घटना के बाद से दुकानें बंद हैं और घर में बैठे बैठे तंग आ चुका हूं।
बैसरन घटना को भूल नहीं सकते कश्मीरी : टैक्सी चालक
टैक्सी चालक लियाकत ने कहा कि वह 16 वर्ष से यहां टैक्सी चलाता है। यहां कभी ऐसी हालत नहीं देखी। 2008 में अमरनाथ भूमि आंदोलन के दौरा भी यहां पर्यटक आए। 2010 व 2016 में भी पर्यटक नहीं थमे, लेकिन बैसरन में आतंकी हमले ने पूरी घाटी को हिला कर रख दिया।
लियाकत ने कहा कि आतंकियों ने जो कुछ किया, उसे कश्मीरी कभी नहीं भूल सकते। उन्होंने उन मासूम मेहमानों के खून से अपने हाथ रंग, उनके परिवारों को न भरने वाले जख्म दिए और हमारे परिवारों के निवाले भी छीन लिए।
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